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कारगिल में हम दुश्मन के ठिकानों पर पूरी ताकत से टूट पड़े थे: एयर चीफ मार्शल

नई दिल्ली. कारगिल विजय दिवस के बुधवार को 18 साल हो गए। इस मौके पर एयरफोर्स के एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा ने पहली बार दैनिक भास्कर से जंग के एक्सपीरियंस शेयर किए। उन्होंने बताया कि "मैं उस वक्त 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एेरो का कमांडिंग ऑफिसर था। फाइटर प्लेन उड़ाता था। कारगिल जंग में पहला मौका था जब मिग-21 ने पहाड़ी इलाकों में रात के वक्त हमलावर मिशन चलाए। हमारे साथी की शहादत ने दोगुना जोश भर दिया था। हम दुश्मन पर पूरी ताकत से टूट पड़े। जब थमे तो इतिहास रच चुके थे।"

दुश्मन भारतीय इलाके में बंकर बनाकर रह रहा था
- धनोवा ने बताया, "26 मई 1999 की बात है। मैं और तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट रहे आरएस धालीवाल ने टाइगर हिल और तोलोलिंग की पहली बार टोह ली थी। मुझे याद है कि जो फोटो हमने खींची थी उसमें दुश्मन यहां-वहां फैला हुआ था और भारतीय इलाकों के पहाड़ों में बने बंकरों में सुरक्षित स्थिति में था। हम दुश्मन के लॉजिस्टिक्स, गोला-बारूद के ठिकानों और कम्युनिकेशन लाइन को टारगेट करना चाहते थे, ताकि वह भूखा मर जाए या मजबूरन हमारे इलाके से कब्जा छोड़ दे।"
- "हमारेे ऑपरेशन पर काफी पाबंदियां थीं। हमें एलओसी पार करने की इजाजत नहीं थी। यदि आपको एक पेड़ पर हमला करना है तो आप भले जड़ों पर निशाना न लगाएं कम से कम तने तक तो जाएंगे। लेकिन हमें कहा गया था सिर्फ टहनियों और पत्तियों पर हमला करो। वो भी उन पत्तियों पर जो हमारे इलाके में हैं।"
- "27 मई 1999 को हमारी स्क्वाड्रन के सेकंड इन कमांड स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा के एयरक्राफ्ट को स्टिंगर मिसाइल के जरिए दुश्मन ने गिरा दिया था। अजय तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को ढूंढने निकले थे। नचिकेता का विमान क्रैश हुआ था। वह सुरक्षित बाहर निकल आए थे, पर लापता थे। उन्हें ढूंढते हुए आहूजा दुर्भाग्य से दुश्मन की मिसाइल के निशाने पर आ गए।"
- "एयरफोर्स का मानना है कि अजय विमान से सुरक्षित बाहर निकले थे। उन्हें दुश्मन ने पकड़ लिया और हत्या कर दी। दो दिन बाद उनका शव हमें सौंपा गया। गले और दिल पर गोलियों के निशान मिले थे। वह मेरी यूनिट के लिए सबसे दुखद दिन था। हमें आहूजा पर गर्व है, जिन्होंने एयरफोर्स के मूल्यों और परंपरा को कायम रखा और अदम्य साहस दिखाते हुए अपने साथी को बचाने की कोशिश की।"
आहूजा की शहादत ने और हौसला दिया
- धनोवा ने कहा, "आहूजा की शहादत ने हमें और ज्यादा ताकत के साथ हमला करने को प्रेरित किया। वो भी तब तक, जब तक कि दुश्मन का सफाया न कर दें। हमारा स्क्वाड्रन दुश्मन की पोजिशन के फोटो लेने लगा और दिए गए टारगेट पर बम गिराने लगा। ऑपरेशन खत्म हुआ तो गोल्डन ऐरो इतिहास बना चुका था। हमारे विमान 100% काम कर रहे थे। हमने कई नाइट स्ट्राइक मिशन पूरे किए थे।"
- "ये पहला मौका था जब मिग-21 ने पहाड़ी इलाकों में नाइट मिशन चलाए थे। हम अपना एक फाइटर पायलट खो चुके थे, पर मुश्किल हालात में जीत कर आए थे। हमारा स्क्वाड्रन सबसे डेकोरेटेड यूनिट बन गया था। यूनिट को एक वीर चक्र (मरणोपरांत), एक जंग सेवा मेडल, दो एयरफोर्स मेडल और दो मेंशन इन डिस्पेचेस भी दिए किए गए। मैं बस यही कहूंगा कि ये मशीन के पीछे मौजूद सैनिक का प्रोफेशनलिज्म और लीडरशिप है, जो आपको जीत दिलवाती है।"

Source:-Bhaskar
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